
रवीश जी! विक्टिम कार्ड मत खेलिए
पत्रकार रविश कुमार जी ने ndtv से त्याग पत्र दे दिया है. वैसे तो इस अप्रासंगिक घटना को लेकर अपने विचार लिखना कोई बहुत ज़रूरी नहीं था. पर मेरा मन यह देख कर विचलित हो गया की कैसे एक पत्रकार के एक न्यूज़ चैनल से इस्तीफ़ा देने को देश के कुछ मीडिया घरानों द्वारा में ‘स्वतंत्र पत्रकारिता का निधन’, ‘प्रेस की आज़ादी के ताबूत पर आखिरी कील गड़ने’ जैसी मन को झकझोर देने वाली हेडलाइंस के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है. रविश जी एक सीनियर पत्रकार हैं और मोदी सरकार, भाजपा एवं संघ के घोर आलोचक भी हैं. ऐसा होना कोई समस्या नहीं है. पर दूसरों को दिन रात गाली देते हुए स्वयं को न्याय, सत्यता और निष्पक्षता की गंगोत्री बताना उनके खुद के खुद को सर्टिफिकेट दिए जाने के नाटक को बेनकाब करता है. एक समय रवीश जी ट्विटर पर काफ़ी सक्रिय रहते थे,अगर उनसे कोई सवाल करें तो सिर्फ़ संघी-सांप्रदायिक कह कर ब्लॉक कर देते थे,मतलब जो उनकी भाषा ना बोले या उनके विचार से मेल ना खाता हो उसका कोई मतलब नहीं,मुझे भी साल २०१३ में एक सवाल पूछने पर ब्लॉक कर दिया,फ्रीडम ऑफ स्पीच के चैम्पियन सिर्फ़ एकतरफ़ा संवाद में यक़ीन रखते है,लेकिन ये ब्रह्मा जी से लेकर हर किसी से सवाल पूछेंगे।
राजनीति शास्त्र की शिक्षा में सबसे पहले यह पढाया जाता है की ‘गैर राजनीतिक या फिर apolitical या न्यूट्रल जैसा कुछ भी नहीं होता है. सबकी अपनी एक विचारधारा होती है और होनी भी चाहिए. आखिर इसी विचारधारा के चश्मे से ही तो हमे दुनिया को देखने और समझने का एक नजरिया मिलता है. रविश जी की भी एक विचारधारा तो है. ऐसे में जब आप बड़े ही शातिर ढंग से संघ/भाजपा/हिंदुत्व की अपनी विचारधारा को परोसते हुए खुद को निष्पक्ष दिखने की जो असफल कोशिश करते हैं, वो कई लोगो को समझ नहीं आती है. और मेरे जैसे कई लोगों को समझ आती है, इसी लिए हम लोग समय समय पर आपको और आपके दोगलेपन, आपकी हिप्पोक्रेसी को एक्स्पोसे करते रहते हैं. इसकी नतीजा यह होता है की आपके तथाकथित बुद्धिजीवी गुट के लोग हमने ‘ट्रोल’ बुला कर हमारे तार्किक प्रश्नों और मतों को भी कोरी बकवास करार देते हैं.
आप भाजपा और पी एम मोदी पर हमेशा से प्रोपगंडा करने का आरोप लगाते हुए खुद को उसका मासूम शिकार दिखाने की कोशिश करते हैं. परन्तु जब आपका ख़ुद का एजेंडा ही भाजपा विरोधी प्रोपगंडा हो तो ऐसे में इसका विरोध करने वाले तो आपको ‘गोदी मीडिया’ वाले लगेंगे ही. जबकि रवीश कुमार ने ख़ुद कितना फ़ेक न्यूज़ फैलाया,मैं तथ्य के साथ लिख रहा हूँ,निम्नलिखित ट्विटर लिंक्स में आप देख सकते है उन्होंगे किस तरीक़े से मोदी सरकार के विरोध में ग़लत आँकड़े तक दिखा दिये,वहीं हिंदू विरोधी-संघ विरोधी अपने विचार को फ़ेक न्यूज़ के माध्यम से फैलाया है –
Ravish Kumar has resigned from ndtv, now let me show you quickly how he was just another leftist disguise as a ‘journalist’#thread on hypocrisy & fake news of Ravish Kumar ++ pic.twitter.com/qOlv6QCDxQ
— bala (@rightarmleftist) November 30, 2022
He often accuses others news channels as ‘godi media’ but in-fact he has been sitting in the congress’ godi since decade. ++ pic.twitter.com/hqR7EQRtlA
— bala (@rightarmleftist) November 30, 2022
Whenever you think that ravish can’t stoop low no more than this he’ll prove you wrong. ++ pic.twitter.com/UdpQmrfgsf
— bala (@rightarmleftist) November 30, 2022
As if appeasement journalism was not enough for him so he started spreading fake news later on. ++ pic.twitter.com/M8fLTXdJd0
— bala (@rightarmleftist) November 30, 2022
I have not seen a bigger hypocrite & dalal than Ravish Kumar ++ pic.twitter.com/rw25HlXidI
— bala (@rightarmleftist) November 30, 2022
राजनीतिक शास्त्र के जानकारों के अनुसार वामपंथी विचारधारा एक प्रतिक्रियावादी विचारधरा है जिसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है और जो पूंजीवाद की आलोचना और उसकी प्रतिक्रिया से जन्म लेती है. ठीक वैसा ही बीते कुछ कुछ सालो में आपके साथ हो गया है. आपकी हर बात हर जवाब मोदीजी के ऊपर तंज कसने और उनकी आलोचना करने से ही शुरू और वहीँ से ही ख़तम होता है. यहाँ तक की आपने अपने ndtv छोड़ने की घोषणा करने के लिए जारी किये गए विडियो में भी मोदी जी ऊपर तंज़ कसने की आपकी स्वाभाविक आदत को नहीं छोड़ा. आपने उनसे अपनी तुलना करते हुए कहा की मैं कोई ऐसा आदमी तो हूँ नहीं जो प्लेन से उतर के भी कहे की मैं गरीब रहा हूँ. बस यहीं आपकी कुंठा हिलोरे मारते हुए बाहर आती है. रविश जी, जो व्यक्ति आज प्लेन से उतरते हुए अपना गरीबी में बीता हुआ बचपन याद कर रहा है, वो प्लेन में किसी गरीब के पैसे मार कर या पैसे लूट कर नहीं बैठ रहा है. उसको इस देश के गरीबों, किसानों , दलितों आदि ने अपना आदमी मानते हुए इतना सशक्त बनाया है की आज वो प्लेन में बैठ पा रहा है. ये प्लेन में बैठना उसको विरासत में नहीं मिला है. उसने अपने जीवन के कई दशक बेहद कठिन संघर्ष कर के बिताए हैं जिसकी वजह से उसको ये सब प्राप्त हुआ है. आपको कभी उनसे दिक्कत नहीं हुई जो अपने पर दादा, अपनी दादी अपने पिता के कार्यों के नाम पर अपने आप को pm की गद्दी का नैसर्गिक उत्तराधिकारी मानते हैं. खैर उनसे आपको क्यों ही दिक्कत होगी. आखिर उनकी ही सरकार में तो आपके मित्र और ndtv के संस्थापक श्री प्रनोय रॉय जी को ये विशेषाधिकार मिला था की उनके चैनल की 25वीं वर्षगांठ को मानाने के लिए आपको राष्ट्रपति भवन जैसा असाधारण वेन्यू दिया गया,क्या ये नैतिकता थी ? आज दावे कह साथ कह सकता हूँ जिस पत्रकार या न्यूज़ स्टूडियो को आप गोदी मीडिया कहते है उनकी हिम्मत है की वो राष्ट्रपति भवन या किसी सरकारी संस्था को बपौती समझे? आप तब भी चुप थे जब आपके न्यूज़ चैनल में ही आपकी सहकर्मी जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब कौन मिनिस्टर होगा वो डिसाइड करती थी?याद है न “राडिया टेप” तब भी आप चुप थे ? क्यूँ ? तब आपका अंतरात्मा नींद में सो रहा था?
जब भाजपा द्वारा वरिष्ठ पत्रकार एम जे अकबर को मंत्री बनाया गया तो आपने नैतिकता की दुहाई देते हुए एक लम्बा चौड़ा ‘खुला ख़त’ यानि ओपन लैटर उनके नाम लिखते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त की कि किस तरह से मीडिया जगत के लोगों को सरकार और पार्टियों से दूर रहना चाहिए. लेकिन जब काग्रेस से जाने माने पत्रकार कुमार केतकर जी को राज्य सभा भेजा तब आपका खुला पत्र जनता के सामने खुला ही नहीं. ऐसा क्यों? क्या मीडिया जगत का भाजपा के बारे में कुछ अच्छा लिखना ही गोदी पत्रकारिता है? विपक्षी पार्टियों के समर्थक पत्रकार जो करते हैं, वो आप देखना नहीं चाहते हैं क्युकी फिर आपकी ‘पत्रकारिता जगत का मसीहा’ वाली छवि धूमिल हो जाएगी. कहने को बहुत कुछ है. एक बात और समझ में नहीं आई कि दशकों तक अड़ानी के ऋण से वेतन उठाने के बाद आज त्यागपत्र दे रहे हैं,फिर ये विक्टिम कार्ड क्यूँ खेल रहे है,ये दिन आना था,ये होना था वो होना था ….. रवीश आप क्यूँ चुप रहे जब अंबानी ने एनडीटीवी को बिना ब्याज के 400 अरब रुपये का ऋण दिया, जिसे नेटवर्क ने कभी वापस भुगतान करने का इरादा नहीं किया।
अडानी ने NDTV को कानूनी रूप से खरीदा और इसलिए लोग इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकते।
अपने आप को मूर्ख बनाना बंद करो और विक्टिम कार्ड खेलना बंद करो । लेकिन जाने दीजिये. आपको आपकी नई यात्रा के लिए बधाई व शुभकामनाएँ !
Rajesh Ranjan
Analysis – to the. Point.