
ये न्यू इंडिया है
“The only thing necessary for the triumph of the evil is for the good men to do nothing.”
प्रसिद्ध दार्शनिक एडमुं बुर्क का यह कथन इस बात की ओर इशारा करता है की विध्वंसकारी शक्तियां तभी विजय प्राप्त करती हैं जब अच्छी सोच रखने वाले लोग कुछ नहीं करते या क्षणिक लाभों के चलते एक साथ नहीं आ पाते. और आज के समय में भी हम कहीं न कहीं ऐसा होते हुए देख रहे हैं, जब जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, महामारी, भू राजनीतिक संघर्ष जैसे वैश्विक समस्याओं पर पूरा विश्व आ बंटा हुआ सा नज़र आता है. मेरा मानना तो यह है की ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर तो सभी देशों की सोच एक जैसी न सही तो कम से कम एक दिशा में तो होनी ही चाहिए. परन्तु हमारे समय में विश्व स्तर पर जिस तरह से नेतृत्व की आपदा देखने को मिल रही है, वो गंभीर चिंताओं की ओर इशारा करती है.
परन्तु इन सब के बीच जो निश्चिंत करने की बात है वो यह है की दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत ने इस आपदा में भी अवसर खोजते हुए पूरे विश्व को एक नया रास्ता दिखने की उम्दा कोशिश की है. चाहे पूरे विश्व में वैक्सीन और आवश्यक दवाएं प्रदान करना हो या रूस यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए उचित कदम उठाना हो भारत ने अपने आप ही वैशिविक कल्याण के लिए अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है.वैसे भारत के लिए विश्व को मार्गदर्शित करना कोई नया नहीं है, और इसी लिए हमे विश्व गुरु कहा गया है, क्योंकि देता न दशमलव भारत तो यों चाँद पे जाना मुश्किल था…
UN द्वारा निर्धारित किये गए सभी 17 SDG यानि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को लेकर भारत पूरी गंभीरता और तत्परता से कार्य कर रहा है. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में भारत आज विकास की नई ऊँचाइयों को छु रहा है. और मोदी जी के इस विकास के मॉडल की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह मॉडल ‘3 इ’ पर केन्द्रित मॉडल है यानि इकॉनमी, इकोलॉजी और equity. अर्थात हम अपने विकास को उस बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में फ्रेम करते हैं जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पंहुचाए और जिसमे सभी की भागीदारी यानि equity हो. और इसी लिए हम अगर मोदी सरकार के बजट में यदि कैपिटल स्पेंडिंग को साढ़े चार लाख करोड़ तक लेके जाने का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो वहीँ दूसरी ओर pvtg यानि particularly vulnerableट्राइबल ग्रुप्स के लिए १५००० करोड़ रूपए का आवंटन भी करते हैं ताकि उनको बेहतर शिक्षा, स्वस्थ्य एवं रोज़गार के अवसर मिल सकें.
Governance on the पीपल से अब हम governance फॉर the पीपल यानि (प्रो पीपल) और governance विथ the पीपल यानि जनभागीदारी की तरफ बढ़ रहे है. और इसमें हमे देश के सभी नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं का भरपूर सहयोग मिल रहा है. वैसे तो इसके बेहिसाब उद्धरण है परन्तु इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमे प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान में देखने को मिला. यह सरकार द्वारा जनता के लिए ली गई कोई योजना मात्र नहीं थी. मोदीजी के आह्वाहन पर देश के सभी नागरिक अपने अपने स्तर पर इसमें अपनी सहभागिता देने लगे. सोशल मडिया पर ऐसे कई पोस्ट हैं जिसमे टीम बना कर के स्कूल कॉलेज के छात्र, प्राइवेट कंपनियों में कार्यरत तमाम कर्मचारी आदि हफ्ते के एक दिन जा कर किसी समुद्र तट, किसी तालाब किसी कॉलोनी को जा कर साफ़ करने लगे. और इसकी वजह से कई तालाबों का कई पोखरों का पुनर्जन्म जैसा हो गया.
आप सभी यह जान कर अत्यंत खुशी होगी कि अभी हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का लिंगानुपात तेज से बेहतर हो रहा है। (2017-19 में 904 से 2018-20 में 907)। और यह हुआ है जनभागीदारी और युवा भागीदारी से। आपको याद होगा जैसे ही मोदीजी पीएम बने उनका ध्यान हमारे देश में तेजी से गिरे हुए चाइल्ड लिंगानुपात पर गया। और इसी को सुधारने के लिए उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सेल्फी विद बेटी जैसे कार्यक्रम चलाए जिस समाज में एक संदेश गया की बेटियां कोई बोझ नहीं है, बच्ची एक वरदान है। मोदीजी ने समाज के विभिन वर्गों से आने वाली महिलों को, चाहे वो किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हों, उनको प्रोत्साहन दिया है, फिर चाहे वो सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, या मीराबाई चानू हों, जिन्होने अपने खेल से शुद्ध विश्व में भारत का नाम रौशन किया है, फिर 125 वर्ष आदिवासी पर्यावरण कार्यकर्ता श्रीमती तुलसी गौड़ा जिन्को पद्म श्री से सम्मान किया गया. यह मोदी जी की महिला सम्मान और महिला उत्थान की नीति है की नागालैंड को उसकी पहली महिला संसद बीजेपी की एस फांगनोन कोन्याक के रूप में प्राप्त हुई.
भारत में जिस तरह से युवा आज स्टार्टअप खोलने की दिशा में बढ़ रहे हैं, वो हमारे युवाओं के आत्मविश्वास और उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है. लगभग हर महीने हम एक स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनते देख रहे है, जो की हमारी तरुणाई के प्रयासों का ही परिणाम है. और यह स्टार्टअप केवल अतिविकसित तकनीकों पर ही नहीं, बल्कि खेती किसानी, पर्यावरण, भू जल संरक्षण, और शिक्षा के शेत्र में भी अपना लोहा मनवा रहे है. इससे हम ease ऑफ़ डूइंग बिज़नस को ease ऑफ़ लिविंग से जोड़ प् रहे है ताकि हमारे देश के नागरिकों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आ सके.
जिस तरह से स्वामी विवेकानंद ने अमरीका के धर्म संसद में दिए गए अपने एक भाषण ने भारत के प्रति पूरे विश्व की सोच को बदल कर रख दिया, उसी तरह से भारत भी आज अपनी नीतियों, अपने नैतिकता और अपने नवाचारों के दम पर आज भारत जी २० की अध्यक्षता करने हुए पूरे विश्व को एक नए मार्ग की तरफ ले जा सकता है. और यह मार्ग शांति, सद्भावना और समावेशी समृद्धि का मार्ग है. ऐसा माना जाता है की विचार अमर होते है. और मैं चाहता हूँ की हमारे प्राचीन ग्रंथो से उत्पन्न हुए भारत के इन विचारों का पुरे विश्व को लाभ मिले, ठीक उसी तरह से जिस तरह से हमारे यहाँ निर्मित वैक्सीन ने पूरे विश्व का कल्याण किया. आइये सब किल कर सहयोग करें इस विश्व को हमारे बच्चों के लिए एक नई दुनिया बनाने के लिए. सर्वे भवन्तु सुखिनः. जय हिन्द.
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